Biography of chandragupta vikramaditya in hindi
Chandragupta II also known by his title Vikramaditya, as well as Chandragupta Vikramaditya, was the third ruler of the Gupta Empire in India.
चंद्रगुप्त विक्रमादित्य एक महान् योद्धा थे। साहित्य, संगीत एवं कला से उन्हें बहुत लगाव था। उन्हें विद्वानों का सत्संग बहुत प्रिय था। वह अपनी न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे। भारतीय इतिहास में उनका नाम एक आदर्श सम्राट् के रूप में.!
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (राज्यकाल 380 ई से 413 ई) भारत के गुप्त वंश के महानतम एवं सर्वाधिक शक्तिशाली सम्राट थे। गुप्त साम्राज्य के राज्यकाल में गुप्त राजवंश अपने चरम उत्कर्ष पर था। यह समय भारत का स्वर्णिम युग भी कहा जाता है। चन्द्रगुप्त द्वितीय , समुद्रगुप्त महान के पुत्र थे। उन्होंने आक्रामक विस्तार की नीति एवं लाभदयक पारिग्रहण नीति का अनुसरण करके सफलता प्राप्त की।
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने गुप्त सम्वत का प्रारम्भ किया। साँची अभिलेख में उसे 'देवराज' और 'प्रवरसेन' कहा गया है। विक्रमादित्य ने अपनी दूसरी राजधानी उज्जयिनी को बनाया। चन्द्रगुप्त ने विदानो को संरक्षण दिया, उसके दरबार में नवरत्न निवास किया करते थे जिनमें कालिदास, वराहमिहिर, धन्वन्तरि प्रमुख थे। उसने शक्तिशाली राजवंशों से वैवहिक सम्बन्ध स्थापित किए। उनके ही राज्यकाल में चीनी बौद्ध यात्री फाह्यान भारत आया था। उसके शासनकाल में कला, साहित्य, स्थापत्य का अभूतपूर्व विकास हुआ, इसलिए चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासन काल को गुप्त साम्राज्य का स्वर्णयुग कहा जाता है। संभवतः भारत सोने की चिड़िया इसी